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अभी नहीं संभले तो तीव्र जलवायु परिवर्तन के गंभीर होंगे परिणाम : आईपीसीसी

10-08-2021 23:56:35 IST

एजेंसी, रिपोर्ट
टरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की एक बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया एक ऐसे व्यापक और तीव्र जलवायु परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, जैसा पिछले हजारों सालों में नहीं देखा गयाह है और इसके प्रभाव से सदी में 4 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक गर्म हो सकता है।
 
सोमवार को जारी किए गए आकलन में जंगलों में आग, बाढ़ और सूखे जैसी चरम सीमाओं में अभूतपूर्व वृद्धि की भी चेतावनी दी गई है। लेकिन इसका कहना है कि उत्सर्जन में गहरी और तीव्र कटौती करने से ऑस्ट्रेलिया और दुनिया को सबसे गंभीर पृथ्वी ताप और इससे जुड़े नुकसान से बचाया जा सकता है।
 
1988 में आईपीसीसी की स्थापना के बाद से यह इसकी छठी रिपोर्ट है और किसी भी पिछले संस्करण की तुलना में अधिक क्षेत्रीय जानकारी प्रदान करती है। यह हमें एक स्पष्ट तस्वीर देती है कि विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में जलवायु परिवर्तन कैसे होगा।
 
यह रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ऑस्ट्रेलिया में वास्तविक रूप से सामने आए हैं। इसमें पूर्वी ऑस्ट्रेलिया करंट का क्षेत्र शामिल है, जहां महासागर वैश्विक औसत से चार गुना से अधिक की दर से गर्म हो रहा है।
 
हम ऐतिहासिक जलवायु परिवर्तन, जलवायु अनुमानों, जलवायु प्रभावों और कार्बन बजट में विशेषज्ञता वाले जलवायु वैज्ञानिक हैं। हम पिछले तीन वर्षों में आईपीसीसी रिपोर्ट तैयार करने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा रहे हैं।
 
रिपोर्ट में पाया गया है कि मध्यम उत्सर्जन होने पर भी, आने वाले वर्षों और दशकों में जलवायु परिवर्तन के वैश्विक प्रभाव काफी खराब होंगे। ग्लोबल वार्मिंग की एक डिग्री का हर अंश कई चरम सीमाओं की आशंका और गंभीरता को बढ़ाता है। इसका मतलब है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का हर प्रयास मायने रखता है।
 
ऑस्ट्रेलिया नि:संदेह गर्म हो रहा है
1910 के बाद से ऑस्ट्रेलिया लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो गया है। आईपीसीसी के आकलन का निष्कर्ष है कि मानव गतिविधियों से वातावरण में अतिरिक्त ग्रीनहाउस गैसों के हिसाब के बिना ऑस्ट्रेलिया और विश्व स्तर पर वार्मिंग की सीमा को समझाना असंभव है।
 
रिपोर्ट जलवायु प्रभाव-चालकों (सीआईडी) की अवधारणा के बारे में बताती है: 30 जलवायु औसत, चरम सीमाएं और घटनाएं जो जलवायु प्रभाव पैदा करती हैं। इनमें गर्मी, सर्दी, सूखा और बाढ़ शामिल हैं। रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि ग्लोबल वार्मिंग ऑस्ट्रेलिया में अत्यधिक गर्म तापमान की तीव्रता और आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि कर रही है, साथ ही लगभग सभी तरह के शीत चरम में कमी आई है। आईपीसीसी ने पूरे विश्वास के साथ इस बात का उल्लेख किया है कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में अत्यधिक गर्मी की घटनाएं, मानवीय प्रभाव के कारण अधिक संभावित या अधिक गंभीर बनीं।


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