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मुकेश अंबानी को लगा सुप्रीम कोर्ट से झटका, अमेजन के पक्ष में फैसला

06-08-2021 15:27:47 IST

एजेंसी, रिपोर्ट
रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के खिलाफ अमेज़न की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा अमेज़न के पक्ष में फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने कहा है कि सिंगापुर में जो इमरजेंसी आर्बिट्रेशन का फैसला है, वह भारत में भी लागू होगा. यहां चर्चा कर दें कि सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (एसआईएसी) ने पिछले दिनों फ्यूचर समूह और रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच 24,713 करोड़ रुपये के सौदे के खिलाफ ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन द्वारा दायर याचिका पर अंतिम सुनवाई पूरी की थी.
 
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने : सुप्रीम कोर्ट ने ई-व्यवसाय क्षेत्र की दिग्गज कंपनी अमेजन के पक्ष में शुक्रवार को फैसला देते हुए कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) के रिलायंस रिटेल के साथ 24,731 करोड़ रुपये के विलय सौदे पर रोक लगाने का सिंगापुर के आपात निर्णायक का फैसला भारतीय कानूनों के तहत वैध एवं लागू करने योग्य है. न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने इस वृहद सवाल पर गौर किया और फैसला दिया कि किसी विदेशी कंपनी के आपात निर्णायक (ईए) का फैसला भारतीय मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम के तहत लागू करने योग्य है बावजूद इसके कि ईए शब्द का प्रयोग यहां मध्यस्थता कानूनों में नहीं किया गया है.
 
पीठ ने कहा कि ईए का आदेश धारा 17 (1) के तहत आने वाला आदेश है और इसे मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 17 (2) के तहत लागू करने योग्य है. अमेजन डॉट कॉम एनवी इंवेस्टमेंट होल्डिंग्स एलएलसी और एफआरएल के बीच इस सौदे को लेकर विवाद था और अमेरिका स्थित कंपनी ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि ईए का फैसला वैध एवं लागू करने योग्य बताया जाए.
 
एसआईएसी ने मामले में अपनी अंतिम सुनवाई कब की : एसआईएसी ने इस मामले में अपनी अंतिम सुनवाई 12 जुलाई को शुरू की थी. इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया था कि एसआईएसी में गठित न्यायाधिकरण ने इस मामले में अपनी पांच दिन चली अंतिम सुनवाई का समापन कर दिया. किशोर बियानी के नेतृत्व वाले फ्यूचर समूह का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने किया. अमेजन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने कंपनी का पक्ष रखा.
 
इससे पहले इसी साल के शुरू में इस मामले पर अंतिम सुनवाई के लिए एसआईएसी ने तीन सदस्यीय मध्यस्था मंच का गठन किया था जिसमें सिंगापुर के बैरिस्टर माइकल हवांग, अलबर्ट वान डेन बर्ग ओर जान पाउलसन को रखा गया. यह विवाद अगस्त 2020 में फ्यूचर समूह द्वारा करीब 24,000 करोड़ रुपये में अपने खुदरा, भंडारण और लॉजिस्टिक कारोबार को रिलायंस इंडस्ट्रीज को बेचने के समझौते की घोषणा के साथ शुरू हुआ था.
 
फ्यूचर समूह की कंपनी फ्यूचर कूपन्स लिमिटेड में निवेश करने वाली ई-कामर्स कंपनी अमेजन ने कहा था कि वह इस हिस्सेदारी के नाते फ्यूचर रिटेल की भी हिस्सेदार है. फ्यूचर कूपन्स की फ्यूचर रिटेल में 7.3 प्रतिशत हिस्सेदारी है. अमेजन ने इस सदौने को एसआईएसी में अक्टूबर में चुनौती दी थी. उसकी अर्जी पर मध्यस्था अदालत ने रिलायंस-फ्यूचर सौदे पर अंतरिम रोक लगा दी थी. फ्यूचर समूह ने एसआईएसी के फोरम के अंतरिम निर्णय को दिल्ली हाई कोर्ट में मध्यस्था न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र और कुछ अन्य आधारों पर चुनौती दी थी. वहां से मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया.


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